Saturday, 20 March 2021

चिड़़िया

चीं-चीं,चूँ-चूँ करती नन्हीं गौरेया को देखकर

 मेरी बिटुआ की लिखी पहली कविता जो

 उसने ५वीं कक्षा(२०१७) में लिखा था

 और साथ में उसके द्वारा  बनाई गयी

 पहली कैनवास पेंटिंग

जो मेरे लिए विशेष है-

 
चूँ-चूँ करती 
गाती चिड़िया,
गाते गाते 
सबका मन 
मोह जाती चिड़िया,
उसकी 
मधुर वाणी से 
सब खुश हो जाते,
चुगते-चुगते 
खा जाती है दाना,
तिनका-तिनका 
जोड़कर 
बनाती अपना घोंसला,
फिर,
आता है एक चूजा,
जिसे नहीं आता है 
उड़ना,
फिर धीरे धीरे 
वह सीखता है 
उड़ना,
अपनी माँ से।

#मनस्वी प्राजंल
(2017)


14 comments:

  1. गुन गुन करती
    मनस्वी। प्रांजल
    कितना विस्तृत
    उसका आँचल
    चिड़िया को
    देती दाना
    उससे सीखती
    जग में उड़ना ।
    मिले हर खुशी
    बस यही दुआ
    उसके सामर्थ्य से
    महके हर दिशा ।
    बहुत सुंदर भाव समेटे है नन्ही प्रांजल ने । आशीर्वाद ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. वाह वाह👌👌 आदरणीय दीदी , प्रिय गुड्डू का मनोबल बढाती इस रचना में आपकी उदार, निर्मल भावनाएं प्रतिबिंबित हो रही हैं। सादर शुभकामनाएं❤❤🙏🌹🌹

      Delete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (21-03-2021) को    "फागुन की सौगात"    (चर्चा अंक- 4012)    पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    --  
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-    
    --
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
    --

    ReplyDelete
  3. प्रिय श्वेता, हमारी प्यारी बिटिया मनस्वी प्रांजल की बाल कविता पढ़कर मन मुदित हो गया। यथा माँ तथा बेटी। बहुत ही प्यारी रचना है जैसी कोई बच्चा लिख सकता है, अपने जैसी बाला मन की कोमलता को संजोये। प्रांजल को बहुत बहुत आशीष और प्यार। एक भावी कवियत्री की ये बाल रचना अनंत सृजन की नींव है। सजीव चित्र उसकी कल्पना की विराटता का दर्पण है।
    प्रिय गुड्डू यूँ ही आगे बढती रहे, जीवन में कल्पना के रंग भरती हुई यशस्वी और चिरंजीवी हो यही दुआ और कामना है। आभार इस सुंदर चित्र और रचना को साझा करने के लिए।

    ReplyDelete
  4. प्रांजल की कविता को पढ़कर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ गये, मैं भी पाँचवी कक्षा मे थी जब कविता लिखना शुरु की रही, बिटिया को ढेर सारी बधाई हो, प्यारी सी कविता के लिए

    ReplyDelete
  5. मनस्वी के पिटारे से उसके चार साल पुराने सहेजे हुए अनमोल खजाने के रूप में उसके द्वारा बनाए हुए रंग-चित्र के साथ ही शब्द-चित्र से रूबरू कराने के लिए आभार आपका .. जिसमें परिपक्वता की कठोरता तो नहीं पर आप की तरह प्रकृति का सूक्ष्म अवलोकन और मासूम संवेदनशील भाव का पुट जरूर है, जो आपके मार्गदर्शन में एक सफल रचनाकार का निर्माण करेगा .. शायद ...

    ReplyDelete
  6. लेकिन अब
    न घोसले है, न आँगन है और ना ही चिड़िया
    अब बचपन भी कहाँ गुलज़ार है

    बिलकुल सही कहा आपने ना गौरेया ना बचपन बस बीते दिनों की याद सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको

    ReplyDelete
  7. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 21 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  8. सुंदर! बाल कलम से प्रवाहित सच्चे उद्गार।
    सस्नेह श्वेता एवं प्रांजल।

    ReplyDelete
  9. सुन्दर कविता और चित्र....

    ReplyDelete
  10. अरे वाह!!!
    सही कहा रेणुजी ने जथा माँ तथा बेटी !
    नन्ही बिट्टू की काव्य प्रतिभा एवं चित्रकारी से आश्चर्यचकित हूँ
    ढ़ेरों शुभकामनाएं एवं प्यार ।

    ReplyDelete

चिड़़िया

चीं-चीं,चूँ-चूँ करती नन्हीं गौरेया को देखकर  मेरी बिटुआ की लिखी पहली कविता जो  उसने ५वीं कक्षा(२०१७) में लिखा था  और साथ में उसके द्वारा  बन...