ये अंतर्रात्मा क्या होती है माँ?
बिटिया ने एक कहानी पढ़ते-पढते पूछा।
'मन' मैंने कहा।
'मन' का मतलब क्या?उसने पूछा!
"मन जो दिमाग से अलग होता है।
बुद्धि-विवेक,छल-प्रपंच से अलग जिसकी ध्वनि सुनी जा सकती है,जहाँ से सदा सच्ची और अच्छी आवाज़ आती है।
मैंने कहा।
सबको सुनाई पड़ती है "अंतर्रात्मा की आवाज़"?उसने पूछा
"हाँ लगभग हर मनुष्य को किसी भी काम करने के पहले,जीवन की हर दुविधा में सही-गलत के निर्णय में सहायक होती है।"मैंने कहा।
"उसने लगभग उदास होते हुये कहा,आजकल लगता है अंतरात्मा ने बात करना बंद कर दिया है मनुष्यों से!"
"नहीं बेटा मनुष्य अंतर्रात्मा की आवाज़ सुनना नहीं चाहते हैं क्योंकि अंतरात्मा के बताये राह पर चलना आसान नहीं होता है।"
#श्वेता
सारगर्भित
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
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अनीता सैनी
अंतर्आत्मा की आवाज़ की सुंदर व्याख्या 🌹🙏🌹
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 07 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDelete"नहीं बेटा मनुष्य अंतर्रात्मा की आवाज़ सुनना नहीं चाहते हैं क्योंकि अंतरात्मा के बताये राह पर चलना आसान नहीं होता है।"
ReplyDeleteऔर आज लोग सरल राह चुननेमें यकीन रखते है,बहुत ही सुंदर और सटीक सादर नमन श्वेता जी
कड़वी सच्चाई व्यक्त करती रचना।
ReplyDeleteयही सत्य है मनुष्य का ।
ReplyDeleteश्वेता जी बहुत खूब लिखी- लघुकथा.. प्रेरणादायी और कटुसत्य भी
ReplyDeleteकितना बड़ा सत्य सहजता से वार्ता के माध्यम से कह दिया श्वेता।
ReplyDeleteमासूम प्रश्न का हृदय विदारक सा उत्तर जैसे हृदय हार गया आज के ढंग से।
सुंदर प्रस्तुति।
बाद में परिणाम देखकर अपने परछाई से भी डरने वाले ऐसे मनोरोगी भी होते है
ReplyDeleteबिटिया को पूरा समझाने की बात है छुटकी
सही कहा श्वेता।
ReplyDeleteसत्य कथन..प्रभावी सृजन ।
ReplyDeleteये वार्तालाप बहुत कुछ कह रहा । सब सरल मार्ग ढूंढ लेते हैं ।अन्तरात्मा की आवाज़ को दबा देते हैं ।
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